मौत का हिसाब .....
लोग जब
घरों में कैद हों
ऐसे समय में
बिल के भीतर
छुपे हुए चूहे
बाहर निकल कर
टहलने की
कोशिश कर रहें हैं
शाम को घोसलों में लौटने वाली
चिड़ियों का दल
चुपचाप
पेड़ की टहनियों पर बैठ जाता हैं
उदास चिड़िया
पश्चिम की ओर
चोंच कर के
चहचहाती है
हवा कभी ठहरती है
कभी बहुत तेज बहती है
हवा का रुख़
कोई नहीं
पहचान पा रहा है
और तो और
साँप एकजुट होकर
मंत्रणा करने लगे हैं
कि, उनके दांतों की नसों में भरा विष
सूखने लगा है
यमराज और चित्रगुप्त चिंतित हैं
मौतों का हिसाब
कैसे रखा जायेगा ????
संगीता श्रीवास्तव
लोग जब
घरों में कैद हों
ऐसे समय में
बिल के भीतर
छुपे हुए चूहे
बाहर निकल कर
टहलने की
कोशिश कर रहें हैं
शाम को घोसलों में लौटने वाली
चिड़ियों का दल
चुपचाप
पेड़ की टहनियों पर बैठ जाता हैं
उदास चिड़िया
पश्चिम की ओर
चोंच कर के
चहचहाती है
हवा कभी ठहरती है
कभी बहुत तेज बहती है
हवा का रुख़
कोई नहीं
पहचान पा रहा है
और तो और
साँप एकजुट होकर
मंत्रणा करने लगे हैं
कि, उनके दांतों की नसों में भरा विष
सूखने लगा है
यमराज और चित्रगुप्त चिंतित हैं
मौतों का हिसाब
कैसे रखा जायेगा ????
संगीता श्रीवास्तव