विश्व पुस्तक दिवस की विलंबित शुभकामनाओं सहित .....
मुट्ठी भर ज़िन्दगी फ़िसल रही
हथेली पर बची कुछ छल रही |
गर्द खाती पुस्तकें ले हाथ
विचारों की बस्ती उछल रही ||
@संगीता श्रीवास्तव सुमन
मुट्ठी भर ज़िन्दगी फ़िसल रही
हथेली पर बची कुछ छल रही |
गर्द खाती पुस्तकें ले हाथ
विचारों की बस्ती उछल रही ||
@संगीता श्रीवास्तव सुमन