Thursday 21 May 2020

हालाते हाज़रा पर मेरी पहली नज़्म ...
             
              *कहाँ खो गई उनकी जादूगरी* ......

कहाँ खो गई उनकी जादूगरी
कहाँ गुम हुई उनकी दीवानगी |

रहेगी कहाँ किसकी दुनिया हसीं
हरिक सू दिखे बस दिखे बेक़सी |
खुशी उनकी रूठी है जैसे कहीं 
सफ़र कर रही भूख और बेबसी |
छिनी आज उनसे यहाँ दस्तरस
कुचल ही गई है उन्हें रहबरी  |
मिले कोई कैसे ख़बर अब भली
है बैचेन इस वास्ते आदमी |
अजब क़ैद की हमने क़ीमत भरी
खुली आँख देखी गज़ब मयकशी |
कहीं है दुआओं में छूटा जहाँ
सलामत रहे उनकी ही बन्दगी |
करामात है ये खुदा की बड़ी
है करतूत पर फैसले की घड़ी |
झुकाकर नज़र कर इबादत बशर
सज़ा मांग कर तू दुआ ज़िंदगी |

कहाँ खो गई उनकी जादूगरी
कहाँ गुम हुई उनकी दीवानगी |

@संगीता श्रीवास्तव सुमन