ग़ज़ल .....
किसी के दिल का जहाँ न होगा
कि राज़ जब तक इयाँ न होगा ||
न ये ज़मीं आसमाँ न होगा
जो प्यार का गुलसिताँ न होगा ||
क़दम क़दम पे हैं मुश्किलें सौ
जो मुड़ गये आशियाँ न होगा ||
उसी किनारे पे जा लगेंगे
जहाँ खड़ा पासबाँ न होगा |
न हो सकेंगे किसी सफ़र के
जो साथ में हमज़बाँ न होगा |
यक़ीन जो दरमियाँ न होगा
कोई यहाँ शादमाँ न होगा |
वफ़ा की राहों के हम मुसाफ़िर
कि देखिए कद्र-दाँ न होगा ||
है उनकी आँखों में साफ़ लिख्खा
'सुमन' कोई दरमियाँ न होगा ||
किसी के दिल का जहाँ न होगा
कि राज़ जब तक इयाँ न होगा ||
न ये ज़मीं आसमाँ न होगा
जो प्यार का गुलसिताँ न होगा ||
क़दम क़दम पे हैं मुश्किलें सौ
जो मुड़ गये आशियाँ न होगा ||
उसी किनारे पे जा लगेंगे
जहाँ खड़ा पासबाँ न होगा |
न हो सकेंगे किसी सफ़र के
जो साथ में हमज़बाँ न होगा |
यक़ीन जो दरमियाँ न होगा
कोई यहाँ शादमाँ न होगा |
वफ़ा की राहों के हम मुसाफ़िर
कि देखिए कद्र-दाँ न होगा ||
है उनकी आँखों में साफ़ लिख्खा
'सुमन' कोई दरमियाँ न होगा ||