Thursday 23 April 2020

विश्व पुस्तक दिवस की विलंबित शुभकामनाओं सहित .....

मुट्ठी भर ज़िन्दगी फ़िसल रही
हथेली पर बची कुछ छल रही |
गर्द खाती पुस्तकें ले हाथ
विचारों की बस्ती उछल रही ||

@संगीता श्रीवास्तव सुमन

2 comments:

  1. वाह बहुत खूब..सुंदर मुक्तक संगीता जी।

    ReplyDelete
  2. जी बहुत बहुत आभार श्वेता

    ReplyDelete