ग़ज़ल......
करनी नैया पार समझ लो
मौजों को पतवार समझ लो |
ग़म की शाम अगर है गहरी,
खुशियों का इतवार समझ लो |
ख़ून पसीना बहाने वालों
क़िस्मत का इज़हार समझ लो |
लुत्फ़ यहां लो खट्टा मिठ्ठा
अनुभव को आचार समझ लो |
ख़्वाब सजाना तेरे मेरे
आंखों का अधिकार समझ लो |
कोई निशां नहीं छोड़ा है
क़ातिल को होशियार समझ लो |
साथ चलो अब मिलकर पग पग
समय की इसे पुकार समझ लो |
इज़्ज़त की रोटी की ख़ातिर
मर मर जाना प्यार समझ लो |
जो गमख़्वार न मीत मिले तो
दुश्मन को ही यार समझ लो |
आशिक़ हो तो ज़ख़्म छुपाओ,
इश्क़ का शिष्टाचार समझ लो |
गुम आँखों में अश्क़ हुए हैं
सुमन इसे मझधार समझ लो |
सुमन इसे मझधार समझ लो |
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १० अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत आभार श्वेता ,कृपया बताएं इसे कैसे देख पाएंगे हम
Deleteजो गमख़्वार न मीत मिले तो,
ReplyDeleteदुश्मन को ही यार समझ लो !
आशिक़ हो तो ज़ख़्म छुपाओ,
इश्क़ का शिष्टाचार समझ लो।
..... वाह! बहुत सुंदर!! बधाई और आभार!!!
जी बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteसाथ चलो अब मिलकर पग पग
ReplyDeleteइसे समय की पुकार समझ लो !
इज़्ज़त की रोटी की ख़ातिर
मर मर जाना प्यार समझ लो !
बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति... उम्दा सृजन के लिए बधाई..
जी बहुत आभार आदरणीय
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteजी सादर आभार
Deleteजी बहुत आभार
ReplyDeleteअभी सोच को ओर विकसित होना है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है।
नई रचना - एक भी दुकां नहीं थोड़े से कर्जे के लिए
जी बेहद शुक्रिया आपका, ज़रूर
Deleteलाजवाब !! बहुत खूब ।
ReplyDeleteजी हौसलाअफ़जाई का बहुत शुक्रिया | साथ बना रहे आप जैसे प्रबुद्ध जनों का |🙏🙏
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब
आशिक़ हो तो ज़ख़्म छुपाओ,
इश्क़ का शिष्टाचार समझ लो।
सुधाजी तहे दिल से शुक्रिया ,नमन आपको
Deleteवाह!बेहतरीन!
ReplyDeleteजी बेहद शुक्रिया आपका, ये साथ बना रहे सदा
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteपहली प्रस्तुति पाँच लिंक पर स्वागत है आपका अपने ही मंच पर ।
बेहद शुक्रिया आपका ,, 🙏🙏
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