Tuesday, 7 April 2020

एक आहट...

ग़ज़ल......

करनी नैया पार समझ लो 
मौजों को पतवार समझ लो |

ग़म की शाम अगर है गहरी,  
खुशियों का इतवार समझ लो |

ख़ून पसीना बहाने वालों 
क़िस्मत का इज़हार समझ लो |

लुत्फ़ यहां लो खट्टा मिठ्ठा  
अनुभव को आचार समझ लो |

ख़्वाब सजाना तेरे मेरे
आंखों का अधिकार समझ लो | 

कोई निशां नहीं छोड़ा है
क़ातिल को होशियार समझ लो |

साथ चलो अब मिलकर पग पग
समय की इसे पुकार समझ लो |

इज़्ज़त की रोटी की ख़ातिर 
मर मर जाना प्यार समझ लो |

जो गमख़्वार न मीत मिले तो
दुश्मन को ही यार समझ लो |

आशिक़ हो तो ज़ख़्म छुपाओ,
इश्क़ का शिष्टाचार समझ लो |

गुम आँखों में अश्क़ हुए हैं
सुमन इसे मझधार समझ लो |


@संगीता श्रीवास्तव 'सुमन'

19 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. बहुत आभार श्वेता ,कृपया बताएं इसे कैसे देख पाएंगे हम

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  2. जो गमख़्वार न मीत मिले तो,
    दुश्मन को ही यार समझ लो !

    आशिक़ हो तो ज़ख़्म छुपाओ,
    इश्क़ का शिष्टाचार समझ लो।
    ..... वाह! बहुत सुंदर!! बधाई और आभार!!!

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    1. जी बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  3. साथ चलो अब मिलकर पग पग
    इसे समय की पुकार समझ लो !

    इज़्ज़त की रोटी की ख़ातिर
    मर मर जाना प्यार समझ लो !

    बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति... उम्दा सृजन के लिए बधाई..

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    1. जी बहुत आभार आदरणीय

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  4. बहुत बढ़िया

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  5. अभी सोच को ओर विकसित होना है।
    बहुत बढ़िया लिखा है।
    नई रचना - एक भी दुकां नहीं थोड़े से कर्जे के लिए 

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    1. जी बेहद शुक्रिया आपका, ज़रूर

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  6. लाजवाब !! बहुत खूब ।

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    1. जी हौसलाअफ़जाई का बहुत शुक्रिया | साथ बना रहे आप जैसे प्रबुद्ध जनों का |🙏🙏

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  7. वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब
    आशिक़ हो तो ज़ख़्म छुपाओ,
    इश्क़ का शिष्टाचार समझ लो।

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    1. सुधाजी तहे दिल से शुक्रिया ,नमन आपको

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  8. वाह!बेहतरीन!

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    1. जी बेहद शुक्रिया आपका, ये साथ बना रहे सदा

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  9. बहुत सुंदर सृजन।
    पहली प्रस्तुति पाँच लिंक पर स्वागत है आपका अपने ही मंच पर ।

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    1. बेहद शुक्रिया आपका ,, 🙏🙏

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